Shiv Bhajan(2)


(1)

मेरे भोले बाबा को, अनाड़ी ना समझो
वो है त्रिपुरारी , अनाड़ी मत समझो

मेरे भोले बाबा के गले सर्प माला,
सर्पो को देखकर, सपेरा मत समझो

मेरे भोले बाबा के हाथों में डमरू,
डमरू को देखकर, मदारी मत समझो

मेरे भोले बाबा के तन मृगछाला,
मृगछाला को देखकर, शिकारी मत समझो

मेरे भोले बाबा के संग में है नंदी,
नंदी को देखकर, व्यापारी मत समझो

मेरे भोले बाबा को अनाड़ी मत समझो

(2)

एक दिन वो भोले भंडारी, बन कर सुंदर नारी,
ब्रज में आ गए , वृन्दावन आ गए
पार्वती भी मनाकर हारी,ना माने त्रिपुरारी
ब्रिज में आ गए..

पार्वती से बोले, मै भी चलूँगा तेरे साथ में,
राधा संग श्याम नाचे, हम भी नाचेंगे साथ में

ए मेरे भोले स्वामी, कैसे ले चलू तुम्हे साथ में,
श्याम के सिवा, कोई पुरुष ना रहेगा वहा रास में,
हसी करेगी हमारी, मिलकर सखिया सारी

ऐसा सजा दे मुझको,कोई न पहचाने रास में,
लगा के बिंदिया,पहन के सारी,
ब्रिज में आ गए...

हंस के सती ने कहा, बलिहारी जाऊ तुम्हारे रूप पर,
एक दिन आये थे मुरारी इस रूप में,
नारी रूप बनाया था हरी ने, आज तुम्हारी बारी
ब्रिज में आ गए, वृन्दावन आ गए

देखा जब श्याम ने, समझ गए सारा राज रे,
ऐसी बजायी बंसी,सुध बुध भूले भोलानाथ रे
सर से खिसक गयी जब सारी, मुस्काए बनबारी
ब्रिज में आ गए...

ए मेरे भोले शम्भु , गोपेश्वर हुआ तुम्हारा नाम रे,
वृन्दावन में तुम्हारा धाम रे...
गिरवरधारी, सुनो विनती, रखो लाज हमारी,
ब्रिज में आ गए, वृन्दावन आ गए..

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