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प्रथा कुप्रथा

आप कमेंट में अपने विचार भी रख सकते है।  इससे संकलन में सहायता होगी।  धन्यवाद।  

१. व्रत उपवास - ये तो बने थे पाचन क्रिया के संतुलन और शरीर की सफाई के लिए लेकिन धीरे धीरे उनको थोप दिया गया, विशेषकर महिलाओं पर. विश्वास कीजिये कोई भगवान आपको, आपके पति या बच्चे को दंड नहीं देगा क्योकि आपने तीज,करवा चौथ या संतान सप्तमी नहीं की या कोई व्रत नहीं रखा या उसे बीच में ही तोड़ दिया. और हाँ, व्रत करें तो सादा खायें, तला हुआ या मीठा खाकर तो आप भगवान के दिए शरीर को और दण्डित ही करेंगे.

२. व्रत कथा - इनका उद्देश्य तो समय का सदुपयोग, सामाजिक मेल मिलाप और मनोरंजन के सहारे शिक्षा देना था. हमने भी इस वेबसाइट पर कई व्रत उपवासों की कथाएं एकत्रित की है, कर्मकांड के लिए नहीं परन्तु टीवी सीरियल जैसे तनाव देनी वाली बातों से बचने और मनोरंजन के लिए । मेहनत करेंगे तो फल मिलेगा माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होगी केवल उनके मन्त्र और कथा पढ़ने से और व्रत करने से नहीं.





3.अंधभक्ति - अंधभक्ति मतलब किसी के विचारों को बिना सोचे अपना लेना। वो चाहे परिवार का सदस्य हो, रिश्तेदार हो, शिक्षक हो, नेता हो या बाबा या फ़क़ीर। भगवान और हमारे बीच किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं है। बाबा या फ़क़ीर को इतना भी मत मानिये कि आपकी अंधभक्ति की आड़ में वो आपको ठग ले। आपके कर्म या कहें सही दिशा में सोच समझ कर किये गए प्रयत्न ही आपको सफलता देंगे कोई मन्त्र ताबीज या कर्मकांड नहीं, इनसे बचें।